विद्वानों के विचार

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स्कॉलर्सइंडिया , 28/02/022

गर्व और धन्यवाद के पात्र

 

इस्लामी फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) एक ऐसी संस्था और संगठन है जिस पर भारतीय मुसलमानों मुख्य रूप से उलेमा और धार्मिक ज्ञान व सोच रखने वाले मुसलमानों को गर्व और गर्व से ज़्यादा शुक्र करने का अधिकार प्राप्त है। यह एक विशेष रूप से रचनात्मक, ज्ञानात्मक और फ़िक़्ही संस्था और सामूहिकता है जिसमें देश के प्रमुख और सही आस्था व सही सोच और विस्तृत ज्ञान रखने वाले विद्वान और कार्यकर्त्ता शामिल हैं।‘’

हज़रत मौलाना सैयद अबुल हसन अली नदवी रह0

(पूर्व प्रबन्धक नदवतुल उलमा लखनऊ एवं अध्यक्ष आल इन्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

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अपार खुशी और खुशी का अवसर

 

‘’मेरे जीवन का यह दूसरा अवसर है कि मुझे अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है, आपका यह समारोह इस बात को प्रमाणित करता है कि आप सब लोग उम्मत के मसाइल से परेशान हैं, नए समस्याओं पर विचार-विमर्श करने की ज़रूरत हर युग में रही है और हिन्दुस्तान में इस प्रकार का यह पहला समारोह है। मैं मौलाना क़ाज़ी मुजाहिदुल इस्लाम क़ासमी साहब को इस महत्वपूर्ण अधिवेशन के बुलाने पर मुबारक बाद देता हूं।‘’

हज़रत मौलाना सैयद मिन्नतुल्लाह रहमानी रह0

(पूर्व अध्यक्ष शरीअत बिहार, उड़ीसा व झारखण्ड व महासचिव आल इन्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

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श्रद्धांजलि

 

‘’मजमउल फ़िक़्हुल इस्लामी एक इस्लामी संस्थान है जो आधुनिक समस्याओं और महत्वपूर्ण कठिनाइयों पर सोच विचार और किताब व सुन्नत की रौशनी में उनके समाधान के क्षेत्रा में पिछले उन्नीस सालों से महान सेवाएं अंजाम दे रहा हैं हिन्दुस्तान का यह बड़ा संस्थान दारुल उलूम देवबन्द (वक़्फ़) अकेडमी की सेवाओं और क्रियाकलापों को हृर्दिक धन्यवाद प्रस्तुत करता है।‘’

हज़रत मौलाना मुहम्मद सालिम क़ासमी रह0

(पूर्व प्रबन्धक दारुल उलूम वक़्फ़ देवबन्द व उपाध्यक्ष आल इन्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

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बौद्धिक पूंजी को सामान्य बनाने की कोशिश

 

‘’इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) नई फ़िक़्ही समस्याओं की शोध व चर्चा का एक संस्थान है जिसे फ़िक़्ह इस्लामी के विशेषज्ञ और इमारते शरइया के क़ाज़ीयुल क़ज़ा शैख़ मुजाहिदुल इस्लाम क़ासमी ने आपसी परामर्श से स्थापित किया है।

अकेडमी अपनी स्थापना ही के समय से ज्ञानात्मक व वैचारिक धरोहर को सार्वजनिक करने में प्रयत्नशील रही है, धार्मिक क्षेत्रा में विशेषज्ञों व शोध कर्त्ताओं के इल्मी व वैचारिक वाद विवादों को भी अकेडमी ने प्रोत्साहित किया है, और अकेडमी त्रा मासिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है जिसमें फ़िक़्ही मसाइल पर बहस व चर्चा होती है और यह कि अकेडमी ने अब तक कई सेमिनार भी आयोजित किए हैं। और यह हिन्दुस्तानी विद्वानों और फ़िक़्ह इस्लामी के निकट लोकप्रिय है।‘’

हज़रत मौलाना सैयद मुहम्मद राबेअ हसनी नदवी

(संरक्षक अकेडमी व प्रबन्धक नदवतुल उलमा लखनऊ व अध्यक्ष आल इन्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

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बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी

 

‘’पुराने व नए विद्वानों के बीच परस्पर सौहार्द पैदा हुई। एक दूसरे से शैक्षिक लाभ हासिल हुआ। आधुनिक समस्याओं में नए ढंग से सोच विचार की भावना पैदा हुई। समय के मांगों के लिहाज़ से अकेडमी की स्थापना अत्यन्त ज़रूरी और लाभकारी सिद्ध हुई।‘’

हज़रत मौलाना मुफ़्ती हबीबुर्रहमान खैराबादी

(मुफ़्ती, दारुल उलूम देवबन्द)

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मुस्लिम दुनिया की सबसे जरूरी जरूरत

 

‘’अकेडमी ने फ़िक़्ही शोध और सांस्कृतिक कठिनाइयों के समाधान की तलाश के मैदान में बहुत व्यापक गतिविधियां अंजाम दी हैं। फ़िक़्ही समारोह व सेमिनारों में दुनिया के तमाम हिस्सों से फ़िक़्ह इस्लामी के उलेमा ने भाग लिया और इल्म व फ़िक़्ह और शोध की रौशनी में बहुत सारे कठिन मसाइल के हल तक पहुंचने में सफ़लता प्राप्त की। मैं इस फ़िक़्ही अकेडमी को सारी दुनिया के मुसलमानों के लिए अति आवश्यक समझता हूं।‘’

हज़रत मौलाना सईदुर्रहमान आज़मी नदवी

(सम्पादक ‘‘अल बाअसुल इस्लामीव प्रबन्धक दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ)

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सराहनीय लक्ष्य और उत्साहवर्धक गतिविधियाँ

 

‘’इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) हिन्दुस्तानी मुस्लिम समाज की ज़रूरतों को पूरा कर रही है और उन्हें नई मुश्किलात के इस्लामी समाधान की राह बता रही है। इसके उद्देश्य प्रशंसनीय योग्य हैं और इसकी गतिविधियां साहस बढ़ाने वाली हैं।‘’

जनाब अब्दुर्रहीम कुरैशी (एडवोकेट)

(पूर्व अध्यक्ष मजलिस तामीर-ए-मिल्लत हैदराबाद)

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एक महत्वपूर्ण संस्था

 

‘’अकेडमी एक महत्वपूर्ण संस्थान है जो इस्लाम और मुसलमानों की सेवा और आधुनिक दौर की मुश्किलों और फ़िक़्ही समस्याओं को इस्लामी शरीअत की रोशनी में हल करने के लिए हिन्दुस्तान में स्थापित है विभिन्न विचारों को मानने वाले उलेमा व फ़ुक़हा को एक मंच पर जमा करने का सौभाग्य अकेडमी के ही सर जाता है।‘’

हज़रत मौलाना काका सईद अहमद उमरी

(प्रबन्धक जामिया दारुस्सलाम उमराबाद, तमिलनाडु)

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समय की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता

 

‘’यह फ़िक़्ह अकेडमी समय की महत्वपूर्ण ज़रूरत है। यह कल्याणकारी और मुबारक कोशिश है। हम स्वागत करते हैं और विश्वास दिलाते हैं कि इस बारे में हम पूर्ण सहयोग देंगे। यह काम यद्यपि बहुत कठिन परिश्रम और गहरे चिंतन मनन का है लेकिन आशा है कि विद्वान लोग किताब व सुन्नत से मार्ग दर्शन करेंगे और अल्लाह तआला सफ़लता प्रदान करेगा।‘’

हज़रत मौलाना सिराजुल हसन रह0

(पूर्व अध्यक्ष, जमाअत-ए इस्लामी, हिन्द)

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मूल्यवान सेवा

 

‘’हिन्द व पाक में इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी वर्त्तमान दौर के आधुनिक समस्याओं में वैचारिक मार्ग दर्शन की जो बहुमुल्य सेवा प्रदान कर रहा है। दुआ है कि अल्लाह तआला इसे स्वीकार करे और अधिक सौभाग्य प्रदान करे।‘’

डाक्टर मुहम्मद अब्दुल हक़ अन्सारी रह0

(पूर्व सभापति जमाअत इस्लामी हिन्द)

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अकादमी के विद्वान नई समस्याओं का शरिया समाधान पेश करने में लगे हुए हैं

 

हम इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी इन्डिया, उसके संस्थापक उलेमाए किराम कार्यकर्त्ता और उससे जुड़े सतर्क लोगां से भली प्रकार परिचित हैं और वे सबके सब हमारे निकट भरोसे योग्य हैं और ये लोग दीन की सेवा करने, नए मसाइल का शरअी हल पेश करके अकेडमी के उद्देश्यों को पूरा करने, लीडरशिप केडर तैयार करने और नवजवान विद्वानों की इल्मी क्षमताओं को बढ़ाने के साथ साथ बहस व शोध के मैदान में भी उनका प्रशिक्षण करने में व्यस्त हैं।

अकेडमी ने अब तक फ़िक़्ह इस्लामी के मैदान में 170 से अधिक पुस्तकों को छापा है और 80 फ़िक़्ही सेमिनारों, वर्कशाप और अन्य प्रोग्राम आयोजित किए हैं। इसके अलावा अकेडमी ने कुवेती फ़िक़्ही इन्साइकलोपिडिया के सभी भागों का उर्दू में अनुवाद कराया है और 120 से अधिक शोध फ़िक़्ही किताबों का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में कराया है। हिन्दुस्तान के विभिन्न इल्मी और केन्द्रों से अकेडमी के अच्छे संबंध हैं। और अपने सही तरीक़ों और बुजुर्गों के रास्ते पर चलने के कारण उसे एक ख़ास हैसियत प्राप्त है।

हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह सारे मुसलमानों को और अकेडमी को नैतिक और भौतिक रूप से शक्तिशाली बनाने का सौभाग्य प्रदान करे। दानवीर लोगों से उम्मीद करते हैं कि वे हिन्दुस्तान में फ़िक़्ह इस्लामी के इस महान इदारे को शक्तिशाली और सुदृढ़ करने में भरपूर हिस्सा लें। अल्लाह उनके इस अमल को नेक कामों में शामिल फ़रमाएगा और उन्हें सब्र से नवाजेगा।

हज़रत मौलाना सैयद मुहम्मद अरशद मदनी

(अध्यक्ष जमीअतुल उलेमा, हिन्द)

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स्कॉलर्सइंडिया , 28/02/2022

इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी एक प्रतिष्ठित संस्थान है

 

इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी इन्डिया एक अहम इल्मी फ़िक़्ही इदारा है जो देश के समस्त इस्लामी इदारों और केन्द्रों के बीच प्रमुख स्थान रखता है, अकेडमी की बुनियाद 1989 ई0 में रखी गयी थी तो यह देश और विदेश में फ़िक़्ह व इफ़ता वालों के लिए सामूहिक रूप से आधुनिक मसाइल मुख्य रूप से माडर्न साइंस और आधुनिक टेक्नालोजी से पैदा होने वाले मसाइल शरअी आदेशों के इस्तिंबात का एक प्लेटफार्म बने।

बहरहाल सामूहिक इज्तिहाद, समकालीन  फ़िक़्ह इस्लामी शास्त्रा का संकलन, अरबी से उर्दू और उर्दू से अरबी फ़िक़्ही सरमाया को स्थानातरण और नए पेश आने वाले मुद्दां पर बहस और क़ुरआन व सुन्नत की रोशनी में उनके शरअी हल के लिए फ़िक़्ही सेमिनारों को आयोजिन जैसे विभिन्न क्षेत्रों मे अकेडमी की महान प्रमुख सेवाएं हैं।

अकेडमी ने शुरू से अब तक जो सेवाएं अंजाम दी हैं मैं उन्हे सम्मान की निगाहों से देखता हूं और दानवीर लोगों से अपील करता हूं कि वे अकेडमी की नैतिक और भौतिक रूप से सहायता करें ताकि वे अपना उद्देश्य और लक्ष्य का सफ़र जारी रख सके और अपने महान उद्देश्य को पूरा कर सके।

 

हज़रत मौलाना सैयद महमूद असद मदनी

(जनरल सेक्रेट्री जमीअतुल उलेमा हिन्द)

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स्कॉलर्सपाकिस्तान , 28/02/2022

अच्छा काम

 

‘’मुझे अत्यन्त ख़ुशी भी है और थोड़ी बहुत आशा भी, ख़ुशी इस बात की कि हिन्दुस्तान के विद्वान महोदय ने वह महान काम आरम्भ किया है जिसकी पूरी दुनिया को और अल्प संख्यक वाले देशों को अत्याधिक आवश्यकता है और तमन्ना यह है कि हम पाकिस्तान में होने के बावजूद यह काम आरंभ नहीं कर सके। फ़िक़्ह अकेडमी ने बड़ा ही महत्वपूर्ण क़दम उठाया है, एक लम्बे समय से इसकी प्रतीक्षा थी।‘’

हजरत मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद रफ़ी उस्मानी रह0

(प्रबन्धक दारुल उलूम करांची, पाकिस्तान)

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स्कॉलर्सपाकिस्तान , 28/02/2022

महान कार्य

 

‘’आज इस सभा में भाग लेने के बाद हिन्दुस्तान के उलेमा और विद्वानों के सर्वश्रेष्ठ लोगों से मुलाक़ात करके इस बात का अन्दाज़ा हो रहा है कि उन्होंने ‘‘अकेडमी’’  को स्थापित करके कितना बड़ा कारनामा अंजाम दिया है। अकेडमी के लक्ष्य एवं उद्देश्यों को सामने रखते हुए मुझे यह महसूस हो रहा है कि इस अकेडमी की स्थापना जनाब नबी करीम सल्ल0 के एक इर्शाद का पालन है।‘’

हज़रत मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद तक़ी उस्मानी

(उप प्रबन्धक मोहतमिम दारुल उलूम करांची, पाकिस्तान)

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स्कॉलर्सदोहा, क़तर, 28/02/2022

इस अकादमी को परिचय की आवश्यकता नहीं है

 

‘’हिन्दुस्तानी मुसलमान दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं जिनकी संख्या लगभग बीस करोड़ से भी अधिक है। इनकी अपनी फ़िक़्ह अकेडमी जो उम्मत के उलेमा के बीच परिचित व लोकप्रिय है। यह ऐसा ‘‘इस्लामी मर्कज़’’ है जो दीनी शिक्षा के क्षेत्रा के साथ शरअ़ी ज्ञान विज्ञान और फ़िक़्ही शोध का विशेष आयोजन करता है। वैचारिक सेमिनार, और प्रशिक्षण प्रोग्राम आयोजित करता है। उर्दू और हिन्दुस्तान की अन्य भाषाओं में फ़िक़्ही लेखों, किताबों का अनुवाद भी करता है। इसी तरह हिन्दुस्तानी मुसलमानों का एक ज्ञानात्मक और फ़िक़्ही केडर तैयार करने का काम अंजाम दे रहा है।

इस अकेडमी को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं, इस लिए कि इसकी ख्याति फैली हुई है और इनकी कोशिशों, प्रयासों और ग़ुलू (अतिश्योक्ति) और अतिवाद से दूर रह कर सन्तुलित राह को अपनाने के कारण इस की प्रशंसा की जाती है।

अकेडमी को इस समय हर निष्ठावान कोशिश और हर सच्चे सहयोग की ज़रूरत है और यह बात उल्लेखनीय योग्य है कि अकेडमी का कोई अपना वित्तीय साधन नहीं है और न ही कोई मौक़ूफ़ा प्रापर्टी है जिससे वह लाभ उठा सके या अपने तमाम ख़र्च पूरे कर सके। इसका सारा वित्तीय मामला उसके सहयोगी, हमदर्दों और दोस्तों के सहयोग से चलता है।

अतः मैं अल्लाह तअ़ाला से सवाब की इच्छा रखने वाले दानी लोगों से यह अपील करता हूं कि वे अकेडमी की सहायता करें ताकि वह क़ियामत के दिन अल्लाह के समक्ष उसके कर्मों की तराजू में मौजूद रहे और अल्लाह के निकट दुनिया व आखि़रत में कण बराबर भी सदकर्म कदापि बर्बाद नहीं होगा। अल्लाह तअ़ाला फ़रमाता है।

‘’और जो भी सदकर्म आगे भेजोगे उसे अल्लाह के निकट बेहतर और अच्छी हालत में पाओगे।‘’ (सूरह मुज्ज़म्मिल 20)

और अल्लाह के निकट दुनिया व आखि़रत में कण बराबर नेकी भी कदापि बर्बाद नहीं जाएगी।‘’

अल्लामा यूसुफ़ अल क़र्ज़ावी

(पूर्व अध्यक्ष आलमी इत्तिहाद बराए मुस्लिम स्कालर्स)

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स्कॉलर्सदोहा, क़तर, 28/02/2022

इस अकादमी के निर्णय प्राचीन धर्मी और आधुनिक उपकारक के व्यापक हैं

 

‘’हमारा यह दौर मालूमाती इन्क़लाब, इल्मी श्रेष्ठता, अविष्कारों की अधिकता’’ तेज़ गति से विकास, पेश आने वाले नए नए समस्याओं के ढेर, कठिनाइयों में आए दिन वृद्धि और मामलों व सन्धियों के नएपन की दृष्टि से प्रमुख है जिनके बारे में अतीत में कोई कल्पना तक न थी और न ही हमारे महान फ़िक़्ही भंडार का इससे कोई संबंध, सिवाए इसके कि आम उसूल, पूर्ण नियमावली और शरीयत के उद्देश्य के बारे में थोड़ा-थोड़ा ज़िक्र आया, इन हालात ने हमारे दौर के लेखकों को नयी दिशाओं द्वारा उन मसाइल पर सोच विचार करने पर तैयार किया, चाहे ये इज्तिहाद इन्शाई हों या इज्तिहाद इन्तिक़ाई।

लेकिन ये नए पेश आने वाले समस्याएं पेचीदा और नाज़ुक होते हैं। इन के बारे में दिए गए फ़तवों का प्रभाव चाहे नकारात्मक हो या सकारात्मक, केवल मुस्लिम समुदाय पर ही नहीं बल्कि पूरी मानवता पर पड़ते हैं। अतः ऐसे अवसर पर यह नहीं होना चाहिए कि किसी क़ौम या किसी जमाअत के भाग्य व अंजाम को किसी एक व्यक्ति के फ़तवे से बांध दिया जाए जो कभी सही फ़तवा दे और कभी ग़लत फ़तवा दे, बल्कि यह इस प्रकार के सवालों व समस्या को ज्ञानात्मक संस्थानों में चर्चा का विषय बनाया जाए ताकि वे उन की वजह की जांच पड़ताल, फ़िक़्ह मआल, फ़िक़्ह तन्ज़ील और सैंकड़ों साधनों में चिंतन मनन और बहस व तहक़ीक़ के बाद इस सिलसिले में सही और पूर्ण फ़तवा दे सके, ख़ास तौर से हमारे इस दौर में जिसमें आम सहमति एक मुश्किल और कठिन काम बन गयी है।

इसी परिपेक्ष्य में इन्टरनेशनल और नेशनल फ़िक़्ह अकेडमियों की स्थापना की धारणा सामने आयी। अतएव सबसे पहले जामेअ़ अज़हर के अंतर्गत ‘‘मजमउल बहूसुल इस्लामिया’’ सन् 1961 ई0 में स्थापित हुआ, फिर राबता आलमे इस्लामी के अन्तर्गत सन् 1977 ई0 में ‘‘अल मजमउल फ़िक़्ही अल इस्लामी’’ स्थापित हुई। फिर (व्प्ब् मुनज्ज़मातुल मोतमर अल इस्लामी) के अन्तर्गत सन् 1981 ई0 में इन्टरनेशनल इस्लामिक फ़िक्ह अकेडमी स्थापित की गयी और फिर देशों या अल्प संख्यकों के साथ ख़ास क्षेत्राय फ़िक़्ह अकेडमियां स्थापित हुईं। किसी एक देश के साथ ख़ास क्षेत्राय फ़िक़्ह अकेडमियों में सबसे महत्वपूर्ण ‘‘इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) है जिसकी स्थापना 1988 ई0 में रखी गयी जिसने कई महान उद्देश्यों को व्यवहार में लाने का अपना लक्ष्य बनाया।

इस महान व विशिष्ठ अकेडमी से निरंतर सम्पर्क में रह कर, इसके कुछ सेमिनारों और कान्फ्रेंसों में भाग लेकर और इसके तै किए हुए फ़ैसलों और सिफ़ारिशात और फ़तवों को पढ़ने के बाद हमने यह देखा कि यह अकेडमी फ़िक़्ही मसाइल के मैदान में और हिन्दुस्तानी मुसलमानों की ओर से उसके यहां प्रस्तुत की जाने वाली मुश्किलात को हल करने में महान भूमिका अदा कर रही है। इस देश में मुसलमानों की संख्या का अन्दाज़ा 20 करोड़ से अधिक का है जो हिन्द व पाक के दूर दूर क्षेत्रों में बिखरे हुए हैं।

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि फ़िक़्ह अकेडमी ने जो फ़िक़्ही समस्याएं हल करके पेश किए हैं इनमें शरअ़ी बुनियादों को सामने रखा है और उनमें शरीयत के उद्देश्य को स्पष्ट तरीक़े पर आश्रित रखा गया है। निःसन्देह अकेडमी के ये फ़ैसले प्राचीन, भले और आधुनिक लाभ के संग्रह हैं। प्राचीन सालेह इस हैसियत से कि यह इज्तिहाद इन्तिक़ाई द्वारा अपना कर व वरीयता के बाद फ़िक़्ही इज्तिहाद से जुड गया है और आधुनिक लाभकारी इस विश्वास से कि हिकमत मोमिन की खोई हुई धरोहर है वह जहां भी मिले उसका हक़दार वही है।

फ़िक़्ह अकेडमी की मुख्य विशेषताओं में से मुसलमानों को एकता के सूत्रा में बांधना और राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम समुदाय के विद्वानों को आपस में जोड़ना भी है अतएव विभिन्न धर्मों के फ़िक़्ह और सोच रखने वाले उलेमा फ़िक़्ह अकेडमी के सेमिनारों में जमा होते हैं और प्रस्तुत होने वाले विषयों पर वाद-विवाद और चर्चा करते हैं और विभिन्न ख़ास विषयों से संबंधित विशेषज्ञों से मसाइल की विश्लेषण में मदद भी हासिल करते हैं और यह सब कुछ शिक्षात्मक वातावरण में होता है जिसमें समान्य हितों की प्राप्ती की इच्छा और भाईचारा व प्रेम का वातावरण छाया रहता है।

सारांश यह कि इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) इन्टरनेशनल फ़िक़्ह अकेडमियों की कोशिशों में एक मुबारक वृद्धि है। और फ़िक़्ह इस्लामी की सेवा एक महान कोशिश और सामूहिक इज्तिहाद के अध्याय में मुल्यवान धरोहर है जिससे न केवल यह कि हिन्दुस्तानी मुसलमान लाभान्वित हो रहे हैं बल्कि पूरा इस्लामी जगत लाभ उठा रहा है इस लिए कि इसने फ़िक़्ह इस्लामी के नए आसमान खोल दिए हैं। सामूहिक इज्तिहाद की भावना को सार्वजनिक किया और मुसलमानों को पेश आने वाले मसाइल व कठिनाइयों के लिए गहरी सूझ बूझ पैदा की है।

मैं दुआ करता हूं कि अल्लाह तआला इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) को और अधिक सौभाग्य प्रदान करे और इसके क़दमों को सत्य और भलाई के रास्तों पर जमाए रखे और इसके ज़िम्मेदारों की उम्र में बरकत प्रदान करे कि वे मुस्लिम समाज के लिए और अधिक इल्मी, फ़िक़्ही और वैचारिक सेवाएं प्रस्तुत कर सकें और अल्लाह तआला उन तमाम लोगों को भी भलाई प्रदान करे जो इसमें हिस्सा लें और इल्म व फ़िक्र और माल व पद के द्वारा इसका सहयोग करें।

डाकटर अली मोहियुद्दीन अल क़ुर्रह दाग़ी

(महासचिव इत्तिहाद आलमी बराए मुस्लिम स्कालर्स व

उपाध्यक्ष यूरोपी कौन्सिल बराए बहुस व इफ़ता)

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दोहा, क़तर स्कॉलर्स

दोहा, क़तर स्कॉलर्सकुवैत, 28/02/2022

... इसमें आधुनिक समस्याओं को हल करने का अधिकार है

 

‘’मैं खुले दिल से स्वीकार करता हूं कि इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी इन्डिया की सेवाएं बड़ी महान हैं। इसकी हैसियत हिन्दुस्तान में आधुनिक समस्या के हल के सिलसिले में बहुत ही उचित हैं। लगभग 25 सालों से अकेडमी निरंतर शरअी मसाइल के हल के लिए प्रयासरत है। हिन्दुस्तान के बा कर्मठ विद्वानों व फ़ुक़हा का उसे भरपूर सहयोग प्राप्त है। अकेडमी का शैक्षिक क्षेत्रा में व्यापक व विशाल है। एक ओर शोध व अनुसंधान का काम है तो दूसरी ओर नवजवान फ़ुज़ला का वैचारिक व ज्ञानात्मक प्रशिक्षण है। तात्पर्य यह है कि तमाम दिशाओं में अकेडमी की कोशिशें प्रशसंनीय हैं।

अल्लाह तआला क़ाज़ी मुजाहिदुल इस्लाम क़ासमी रह0 को अपनी कृपा एवं दया से नवाज़े, उन्होंने एक ऐसी अकेडमी की बुनियाद डाली जो आज अपनी भलाई में अपनी मिसाल आप है। औक़ाफ़ मंत्रालय से प्रकाशित ‘‘फ़िक़्ही इन्साइकिलो पेडिया;; (अल मौसूआ अल फ़िक़हिया) का उर्दू अनुवाद भी अकेडमी ने भली प्रकार से अंजाम दे चुकीं है।

अल्लाह का शुक्र है उसके कुछ सेमिनारों में मुझे भाग लेने का अवसर मिला। मैंने हिन्द व पाक में हुए सेमिनारों में उसे सर्वश्रेष्ठ और लाभकारी पाया। मैं इस बात की तसदीक़ करता हूं कि अकेडमी के इल्मी मामलों की अधिकता है जहां उसे विद्वानों के सहयोग की ज़रूरत है ताकि वह इस्लाम और मुसलमानों की सेवा का काम बेहतर तौर पर प्रदान कर सके।

यहां यह उल्लेख अनुचित न होगा कि क़ुवैत के विद्वान व फ़ुक़हा और बुद्धिजीवी, अध्यापक व शुयूख़ और वहां के सामुदायिक व धार्मिक संस्थानों से अकेडमी के गहरे सम्पर्क हैं।‘’

डा0 खालिद अब्दुल्लाह अल-मज्कूर

(पूर्व अध्यक्ष लजिना ततबीक़ शरीअ़त कुवैत)

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स्कॉलर्स

स्कॉलर्स...., 28/02/2022

बहुत अच्छा प्रयास

 

‘’इस्लामिक फ़िक़्ह इस्लामी इन्डिया मेरे लिए अजनबी नहीं है। हमने डा0 मन्ज़ूर आलम साहब, हज़रत क़ाज़ी मुजाहिदुल इस्लाम क़ासमी साहब और दूसरे उलेमा के साथ काम किया है। अकेडमी को विद्वानों का समर्थन प्राप्त रहा है और उसके प्रोग्रामों में इन उलेमा की भागीदारी भी होती रही है। इनमें सर्वप्रथम शैख अबुल हसन अली नदवी रह0 हैं।

शुरू ही से हमने इस अकेडमी की स्थापना की पुष्टि की है ताकि फ़िक़्ही मुश्किलात और शरअी मामले हल किए जा सकें जो हिन्दुस्तान के अल्पसंख्यकों को पेश आ रहे हैं। और यह अकेडमी एक ऐसी मिसाल और ऐसा आदर्श बने उन देशों के लिए जहां मुसलमान अपने फ़िक़्ही मामलों को संगठित करने की ज़रूरत महसूस करते हैं। और उन देशों के मददगार व सहयोगी बन सकें जहां मुसलमान बहुसंख्या में नहीं हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि इन तमाम चीज़ों का हिन्दुस्तान में मुसलमानों की सेवा करने में, उनको एक करने में, उनके बीच से मतभेद समाप्त करने या कम करने में एक अच्छा प्रभावी प्रयास है। अतः मेरी इच्छा है कि अकेडमी का झंडा सदैव ऊंचा रहे और वह अकेडमी से एक बड़ा संस्थान बन जाए जिसके हिन्दुस्तान के विभिन्न स्थानों पर शाखाएं हों ताकि उसका लाभ, उसकी भलाई और उसकी बरकतें हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान से बाहर सारे मुसलमानों के लिए सार्वजनिक एवं लाभप्रद हो सकें।

अल्लाह तआला अकेडमी को और उसके ज़िम्मेदारों को भलाई प्रदान करे और जो सेवा वे कर रहे हैं उस पर उन्हें बेहतर बदला प्रदान करे। आमीन

डा0 ताहा जाबिर फ़य्याज़ अलवानी

(पूर्व अध्यक्ष अल माअ़हद आलमी लिल फ़िक्रिल इस्लामी)

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स्कॉलर्सदमिश्क़, 28/02/2022

प्रमुख इस्लामी सांस्कृतिक प्रतीक

 

‘’मजमउल फ़िक़्हलु इस्लामी (इन्डिया) की स्थापना हिन्द व पाक में एक प्रमुख इस्लामी सांस्कृतिक पहचान की हैसियत रखती है। इस्लामी इल्मी और एकता पर आधारित सेवाओं को अदा करने में अकेडमी रात दिन व्यस्त है।‘’

डा0 वहबा मुस्तफा ज़ुहैली रह0 (दमिश्क़)

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स्कॉलर्ससऊदी अरबिया, 28/02/2022

समस्या समाधान का व्यावहारिक रूप

 

‘’इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) इस गतिशील युग में हिन्दुस्तान के मुसलमानों को पेश आने वाली समस्या व क़ज़ाया के हल की उमदा (उत्तम) तस्वीर है। मैं दानी लोगों से निवेदन करता हूं कि अकेडमी की भौतिक व वास्तविक ज़रूरतों की पूर्ति में सहयोग करें ताकि यह कोशिश चलती रहे।‘’

डाकटर मुहम्मद उमर छाबरा

(सऊदी अरबिया)

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स्कॉलर्ससऊदी अरबिया, 28/02/2022

गर्व की गहरी भावना

 

‘‘इस्लामी फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) विभिन्न मैदानों में जो महत्वपूर्ण काम प्रदान कर रहा है उस पर अपनी गहरी भावनाओं को व्यक्त करना मेरे लिए गौरव की बात है। सही इस्लामी मार्ग दर्शन, सामूहिक सोच विचार की आत्मा पैदा करना और हिन्दुस्तान की मुस्लिम अल्पसंख्यक को पेश आने वाली मुश्किलात के उचित समाधान की तलाश अकेडमी के कामों में शामिल है।‘’

डा0 मुहम्मद अलहबीब बिन अल खोजा रह0

(पूर्व महासचिव मजमउल फ़िक़्ह इस्लामी अद्दोवाली अकेडमी, जद्दा)

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स्कॉलर्ससऊदी अरबिया, 28/02/2022

आधुनिक समस्याओं को हल करने के लिए सबसे अच्छा संगठन

 

‘’इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) मुसलमानों के आधुनिक और पेश आने वाले मुद्दों के समाधान का बेहतरीन संस्थान है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि अकेडमी की विकास और सफलता में उसके ज़िम्मेदारों व कारकुनों का एक बहुत बडी भागेदारी रही है। यह संस्थान मुसलमानों के अन्दर इल्मी, वैचारिक और व्यवहारिक कुशलता व भलाई पैदा करने में सफ़ल रहा है।‘’

शैख़ अब्दुर्रहमान बिन अब्दुल्लाह बिन अक़ील

(सऊदी अरबिया)

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स्कॉलर्ससऊदी अरबिया, 28/02/2022

सेवाओं के मामले में अनूठी बिक्री

 

‘’मेरे लिए गौरव व गर्व की बात है कि अल्लाह ने मुझे अकेडमी के संस्थापकों से मिलने का अवसर दिया, जिसकी स्थापना हिन्दुस्तान के उलेमा की निगरानी में सन् 1989 ई0 में हुई। मेरा विश्वास है कि यह अकेडमी हिन्दुस्तान में विभिन्न विभागों में सेवाओं के ताल्लुक़ से अनोखी है। अकेडमी के ज़िम्मेदारों का साथ और हर संभव सहयोग हमारा धार्मिक कर्तव्य है।‘’

डाक्टर अब्दुल्लाह बिन इब्राहीम अल-मुस्फ़िर

(सऊदी अरबिया)

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स्कॉलर्सउर्दून, 28/02/2022

सामूहिक इज्तिहाद का प्रयास

 

‘’इसमें कोई सन्देह नहीं कि इस्लामिक फ़िक़्ह अकेडमी (इन्डिया) हिन्दुस्तान में सामान्यता इस्लामी दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही है और उलेमा व फ़ुक़हा के आपसी संबंधों को शक्तिशाली बनाना, सामूहिक इज्तिहाद की कोशिश करना और नए मुद्दों का यथा संभव हल तलाश करना इसके एजेंडे में शामिल है।‘’

डाक्टर फ़तही मलकावी

(अलमाअ़हद अल आलमी लिल फ़िक्रिल इस्लमा उर्दून)

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स्कॉलर्समिस्र, 28/02/2022

एक बेहतरीन कदम

 

‘’आधुनिक समस्याओं की ओर उलेमाए किराम का ध्यान, आकृषित उनकी सूझ बूझ और उनके समाधान की कोशिश एक महान क़दम है। हम आशा करते हैं कि यह सिलसिला जारी रहेगा और उम्मत की वास्तविक स्थिति से उलेमाए किराम का सम्पर्क बना रहेगा।‘’

डा0 जमालुद्दीन अतिया (मिस्र)

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Dr. Fathi Malkawi

Dr. Fathi MalkawiIFA, Delhi, 01/06/2021

Dr. Fathi Malkawi

(International Institute of Islamic Thought, Jordon)


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Dr. Mohammad Umar Chhabra

Dr. Mohammad Umar ChhabraIFA, Delhi, 01/06/2021

Dr. Mohammad Umar Chhabra

(Saudi Arabia)


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Dr. Ali Mohiuddin Al Qurah Daghi

Dr. Ali Mohiuddin Al Qurah DaghiIFA, Delhi, 01/06/2021

Dr. Ali Mohiuddin Al Qurah Daghi

(General Secretary World Association of Muslim Scholars)


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